जिंदगी का सफर अब एकदम छोटा लग रहा हैं व ख़ुशी ही दवा बन गई
_दोस्तों ? इस समय जिंदगी का सफर बहुत छोटा हो गया हैं , इसलिए किसी ने कहा है कि_*” जिंदगी “* _को_ _बगैर तेरे_ *” बसर “* _कैसे करूँ : बहुत लंबा है_ *” सफर “*” *सफर* ” _कैसे करूँ ।_ *फकीराना तबियत है , मिले तो बाँट देते हैं , क्योंकि , हमसे दुवाओ की काला बाजारी नही होती हैं ।*
_कोरोना काल मे हम सब यह प्रण कर लो_ *“* *जीतेगें हम “* _यह खुद से वादा कर लो , जितना सोचते हो ,_ _कोशिश उससे ज्यादा करो , तक़दीर भी रूठे पर हिम्मत न टूटे , इतना मजबूत अपना इरादा कर लो ।_
*एक डॉक्टर साहब ने अपने क्लिनिक के काउंटर पर सुनहरे अक्षरो में बहुत ही सही लिखा रखा था कि ” दवा में कोई ख़ुशी नही हैं , औऱ ख़ुशी जैसी कोई दवा नही । “*
_चार दिनों की हैं जिंदगानी , किस – किस से बुराई लू । एक दिन सब खाक हो जाएगा , फिर क्यों में जिंदगी में_ _इतरा के चलू ।_
*लेखक आपका अब्दुल रशीद शेख़ नेशनल ब्यूरो पुलिस सर्विलांस एवं रिटायर्ड टीआई इंदौर*